एनसीईएल सहकारी निर्यात को विकसित करने में कैसे सहायता करेगा ?

एनसीईएल सहकारी क्षेत्र से निर्यात हेतु एक एम्ब्रेला संगठन होने के नाते, घरेलू बाजारों में अधिशेष उत्पादन की स्थिति में किसानों को विदेशी बाजारों में उनके उत्पादों के लिए उच्च मूल्य प्राप्त करने में सहायता करेगा । एनसीईएल सहकारी समितियों को निर्यात एवं प्रतिस्पर्धात्मकता पर अपना ध्यान केंद्रित करने में निम्नलिखित गतिविधियों के माध्यम से सहायता करेगा: -

सहकारी निर्यात को अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम बनाने के लिए अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार मूल्य संवर्धन और उत्पाद की गुणवत्ता में सुधार करना ।
निर्यात प्रमाणन और लॉजिस्टिक्स में सहायता ।
निधि/ धन-राशि प्राप्त करने, तकनीकी मार्गदर्शन प्रदान करने तथा क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण में सहायता करना ।
अंतर्राष्ट्रीय/राष्ट्रीय बाज़ार अनुसंधान करना और बाज़ार की सूझ-बूझ प्रणाली का निर्माण करना ।
निर्यात संबंधी परामर्श सेवाएँ प्रदान करना ।
सहकारी निर्यात के लिए एक ज्ञान कोष (नॉलेज रिपॉजिटरी) की स्थापना करना ।
ब्रांडिंग, लेबलिंग और पैकेजिंग सहायता के माध्यम से सहकारी उत्पाद बाजार की स्थिति को सुविधाजनक बनाना ।

लाभ

एक अम्ब्रेला संगठन के रूप में कार्य करते हुए, एनसीईएल की स्थापना से सभी स्तरों पर एवं सभी क्षेत्रों में सहकारी क्षेत्र से निर्यात को बढ़ावा मिलेगा ।

इससे विदेशी बाजारों में भारतीय सहकारिताओं की निर्यात क्षमता को बढ़ाने में मदद मिलेगी । इससे सहकारी समितियों को 'संपूर्ण सरकारी दृष्टिकोण' के माध्यम से केंद्रित तरीके से भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों की कई निर्यात-संबंधी योजनाओं, कार्यक्रमों, पहलों और नीतियों का भी लाभ उठाने में मदद मिलेगी ।

इससे सहकारिताओं के समावेशी विकास मॉडल के माध्यम से "सहकार-से-समृद्धि" के लक्ष्य को साकार करने में भी मदद मिलेगी, जहां सदस्यों को अपनी वस्तुओं एवं  सेवाओं के निर्यात के माध्यम से बेहतर कीमतों की प्राप्ति के साथ-साथ समिति द्वारा अर्जित अधिशेष से वितरित लाभांश का भी लाभ होगा ।

एनसीईएल निर्यात हेतु निधि/धन राशि की व्यवस्था करने, तकनीकी मार्गदर्शन प्रदान करने, प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण में मदद करने, बाजार की सूझ-बूझ प्रणाली को विकसित  करने एवं इसे बनाए रखने, संबंधित सरकारी योजनाओं को लागू करने तथा ऐसी अन्य गतिविधियां करने में भी मदद करेगा जिससे सहकारी क्षेत्र और अन्य संबंधित संस्थाओं से होने वाले निर्यात में वृद्धि होगी ।